केन्द्राधिपत्य दोष
लघु पाराशरी भाष्य (भाष्यकार दीवान रामचन्द्र कपूर) से प्रेरित
सौम्य ग्रह (गुरु, बुध, शुक्र, चन्द्र) यदि मारकेश (सप्तमेश) होकर केन्द्रेश होते हैं तो इनको शुभत्व प्राप्त न होकर केन्द्राधिपत्य दोष लग जाता है. लग्न अनुसार इन ग्रहों को केन्द्राधिपत्य दोष लगता है:
मेष: शुक्र (द्वितीयेश, सप्तमेश)
मिथुन: गुरु (सप्तमेश, दशमेश)
कन्या: गुरु (चतुर्थेश, सप्तमेश)
वृश्चिक: शुक्र (सप्तमेश, द्वादशेश)
धनु: बुध (सप्तमेश, दशमेश)
मीन: बुध (चतुर्थेश, सप्तमेश)
अगर सौम्य ग्रह मारकेश नहीं है तो केन्द्रेश होते हुए भी केन्द्राधिपत्य दोष नहीं लगेगा जैसे की कर्क और सिंह लग्न में शुक्र।
ये केन्द्राधिपत्य दोष से दूषित ग्रह अगर किसी त्रिकोणेश से सम्बन्ध करें तो योगकारी हो जाता है परन्तु मारक-प्रसंग में मारक फल तो देगा ही.
कोई भी क्रूर ग्रह सप्तमेश होकर केन्द्राधिपति नहीं हो सकता अतः उसको केन्द्राधिपत्य दोष भी नहीं लगता।
फल:
केंद्राधिपत्य दोष से दूषित ग्रह के शुभ फल में कमी आ जाती है। आप इस तरह समझिए की अगर कुंडली में किसी ग्रह को उसकी स्तिथि के आधार पर कुछ शुभ अंक दिए जाएँ तो उसमें से कुछ अंक कम हो जाएंगे। इससे डरने जैसी कोई बात नहीं है।
उपाय:
केंद्र भाव के अधिपति भगवान विष्णु हैं। जब भी केंद्राधिपत्य दोष से दूषित ग्रह की दशा आये तो भगवान विष्णु की नित्य आराधना करें।
सौम्य ग्रह (गुरु, बुध, शुक्र, चन्द्र) यदि मारकेश (सप्तमेश) होकर केन्द्रेश होते हैं तो इनको शुभत्व प्राप्त न होकर केन्द्राधिपत्य दोष लग जाता है. लग्न अनुसार इन ग्रहों को केन्द्राधिपत्य दोष लगता है:
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Anju Anand