क्षुद्र ग्रह
सौर मंडल मे विचरण करने वाले पत्थरों और धातुओं के ऐसे खगोलीय पिंड जो अपने आकार मे ग्रहो से छोटे और उल्का पिंडो से बडे होते है। यह सूर्य की परिक्रमा करते हैं लेकिन इतने लघु हैं कि इन्हें ग्रह नहीं कहा जा सकता। इन्हें लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह या ग्रहिका कहते हैं।
हमारी सौर प्रणाली में लगभग 100,000 क्षुद्रग्रह हैं लेकिन उनमें से अधिकतर इतने सूक्ष्म हैं कि उन्हें पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता। प्रत्येक क्षुद्रग्रह की अपनी कक्षा होती है, जिसमें ये सूर्य के इर्दगिर्द घूमते रहते हैं।
इनमें से सबसे बड़ा क्षुद्र ग्रह हैं 'सेरेस'।
केवल 'वेस्टाल' ही एक ऐसा क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है यद्यपि इसे सेरेस के बाद खोजा गया था।
ऐरोस एक छोटा क्षुद्रग्रह है जो क्षुद्र ग्रहों की कक्षा से भटक गया है तथा प्रत्येक सात वर्षों के बाद पृथ्वी से 256 लाख किलोमीटर की दूरी पर आ जाता है।
अधिकतर क्षुद्रग्रह उन्हीं पदार्थों से बने हैं, जिनमें पृथ्वी पर पाए जाने वाले पत्थर बने हैं। हालांकि उनकी सतह के तापमान भिन्न हैं।
उल्का (Meteoroids):
जो क्षुद्र ग्रह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से पृथ्वी के वातावरण में आकर पृथ्वी से टकरा जाते है उन्हें उल्का (Meteoroids) कहा जाता है। क्षुद्र ग्रह अपने आकार मे ग्रहो से छोटे और उल्का पिंडो से बडे होते है।
क्षुद्र ग्रह घेरा या ऐस्टरौएड बेल्ट –
क्षुद्र ग्रह घेरे को अंग्रेज़ी में "ऐस्टरौएड बेल्ट" (asteroid belt) भी कहते हैं
सौर मण्डल का एक क्षेत्र, जो मंगल ग्रह और बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच स्थित है और जिसमें हज़ारों-लाखों क्षुद्र ग्रह (ऐस्टरौएड) सूरज की परिक्रमा कर रहे हैं। इनमें एक 950 किमी के व्यास वाला सीरीस नाम का बौना ग्रह भी है जो अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से गोल अकार पा चुका है। यहाँ तीन और 400 किमी के व्यास से बड़े क्षुद्रग्रह पाए जा चुके हैं - वॅस्टा, पैलस और हाइजिआ। पूरे क्षुद्र ग्रह घेरे के कुल द्रव्यमान में से आधे से ज़्यादा इन्ही चार वस्तुओं में निहित है। बाकी वस्तुओं का अकार भिन्न-भिन्न है - कुछ तो दसियों किलोमीटर बड़े हैं और कुछ धूल के कण मात्र हैं।
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Anju Anand